@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: इंडिया अगेन्स्ट करप्शन को जनतांत्रिक राजनैतिक संगठन में बदलना ही होगा

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

इंडिया अगेन्स्ट करप्शन को जनतांत्रिक राजनैतिक संगठन में बदलना ही होगा

इंडिया अगेन्स्ट करप्शन की कोर कमेटी के दो सदस्यों पी वी राजगोपालन और राजेन्द्र सिंह ने अपने आप को टीम से अलग करने का निर्णय लिया है, उन का कथन है कि अब आंदोलन राजनैतिक रूप धारण कर रहा है। हिसार चुनाव में कांग्रेस के विरुद्ध अभियान चलाने का निर्णय कोर कमेटी का नहीं था। उधर प्रशान्त भूषण पर जम्मू कश्मीर के संबंध में दिए गए उन के बयान के बाद हुए हमले की अन्ना हजारे ने निन्दा तो की है लेकिन इस बात पर अभी निर्णय होना शेष है कि जम्मू-कश्मीर पर उन के अपने बयान पर बने रहने की स्थिति में वे कोर कमेटी के सदस्य बने रह सकेंगे या नहीं। इस तरह आम जनता के एक बड़े हिस्से का समर्थन प्राप्त होने पर भी इंडिया अगेन्स्ट करप्शन की नेतृत्वकारी कमेटी की रसोई में बरतन खड़कने की आवाजें देश भर को सुनाई दे रही हैं। 

न्ना हजारे जो इस टीम के सर्वमान्य मुखिया हैं, बार बार यह तो कहते रहे हैं कि उन की टीम किसी चुनाव में भाग नहीं लेगी, लेकिन यह कभी नहीं कहते कि वे राजनीति नहीं कर रहे हैं। यदि वे ऐसा कहते भी हैं तो यह दुनिया का सब से बड़ा झूठ भी होगा। राजनीति करने का यह कदापि अर्थ नहीं है कि राजनीति करने वाला कोई भी समूह चुनाव में अनिवार्य रूप से भाग ले। यदि कोई समूह मौजूदा व्यवस्था के विरुद्ध या उस के किसी दोष के विरुद्ध जनता को एकत्र कर सरकार के विरुद्ध आंदोलन का संगठन करता है तो तरह वह राज्य की नीति को केवल प्रभावित ही नहीं करता अपितु उसे बदलने की कोशिश भी करता है तथा इस कोशिश को केवल और केवल राजनीति की संज्ञा दी जा सकती है। इस तरह हम समझ सकते हैं कि विगत अनेक वर्षों से अन्ना हजारे जो कुछ कर रहे हैं वह राजनीति ही है। 

दि कोई समूह या संगठन राजनीति में आता है तो उस संगठन या समूह को एक राजनैतिक संगठन का रूप देना ही होगा। उस की सदस्यता, संगठन का जनतांत्रिक ढांचा, उस के आर्थिक स्रोत, आय-व्यय का हिसाब-किताब, उद्देश्य और लक्ष्य सभी स्पष्ट रूप से जनता के सामने होने चाहिए। लेकिन इंडिया अगेंस्ट करप्शन के साथ ऐसा नहीं है, वहाँ कुछ भी स्पष्ट नहीं है। यदि इंडिया अगेंस्ट करप्शन को अपना जनान्दोलन संगठित करना है तो फिर उन्हें अपने संगठन को जनता के संगठन के रूप में संगठित करना होगा, उस संगठन का संविधान निर्मित कर उसे सार्वजनिक करना होगा, उस के आर्थिक स्रोत और हिसाब किताब को पारदर्शी बनाना होगा। संगठन के उद्देश्य और लक्ष्य स्पष्ट करने होंगे। इस आंदोलन को एक राजनैतिक स्वरूप ग्रहण करना ही होगा, चाहे उन का यह संगठन चुनावों में हिस्सा ले या न ले। यदि ऐसा नहीं होता है तो इस आंदोलन को आगे विकसित कर सकना संभव नहीं हो सकेगा।

16 टिप्‍पणियां:

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

विगत वर्षों को छोड़ दें तब भी कांग्रेस या किसी पार्टी के खिलाफ़ प्रचार का मतलब क्या है? बस यह राजनीति ही तो है। अन्ना राजनीति तो कर ही रहे हैं…

Gyan Darpan ने कहा…

आपके विचारों से सहमत|

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

राजनीति को समाज से अलग देखने और उसके अलग मानदण्ड निर्धारित करने की यही हानियाँ हैं।

Shah Nawaz ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने... इससे जवाबदेही भी बनेगी...

अजय कुमार झा ने कहा…

सही और सटीक कहा सर । यदि जनांदोलन को भी सही दिशा देनी है , और जब लडाई सीधे सीधे राजनीतिज्ञों और राजनीतिक दलों के खिलाफ़ लडनी है तो फ़िर इन जरूरी बातों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता । उम्मीद है कि आंदोलन के अगुआ जल्दी ही इस बात को समझेंगे

Khushdeep Sehgal ने कहा…

राजनीति से टीम अन्ना को इतना परहेज़ क्यों...लोहे को जब लोहा ही काट सकता है तो फिर क्यों नहीं खुद भी राजनीति में उतरा जाए...राजनीति के गटर को साफ़ करना है तो गटर में उतरना ही पड़ेगा...बाहर खड़े रह कर शोर मचाते रहने और राजनीतिक दलों से खुद ही अपनी गंदगी साफ करने की उम्मीद करना बेमानी है...

जय हिंद...

विष्णु बैरागी ने कहा…

जहॉं तक मेरी जानकारी है, 'इण्डिया अगेंस्‍ट करप्‍शन' आपने आप में कोई स्‍वतन्‍त्र संगठन नहीं है। यह तो, केजरीवाल के फाउण्‍डेशन का एक हिस्‍सा है। मैं कोशिशें कर-कर थक गया किन्‍तु मुझे आज तक 'इण्डिया अंगेंस्‍ट करप्‍शन' के नाम पर कोई बैंक खाता नहीं मिला। हर बार यही सूचना और जानकारी मिली कि यदि पैसा देना है तो केजरीवाल के फाउण्‍डेशन के खाते में जमा कराना पडेगा।
मैं अण्‍णा-अभियान का समर्थक हूँ, इस क्षण भी। किन्‍तु यह देखकर हतप्रभ हूँ कि अभियान का नेतृत्‍व कर रहे लोग अपनी महत्‍वाकांक्षाऍं पूरी करने को उतावले बने हुए हैं।
यह अभियान अपने मुकाम पर पहुँचता नजर नहीं आता मुझे।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

व्यवस्था और कानून में बदलाव जरूरी हैं॥

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

देखते हैं ऊंट किस करवट बैठ पाता है...

roushan ने कहा…

aapkI baat se poori tarah se sahmat .
Vishnu bairaagi ji ki baat mahatvpoorn hai.
ham Anaa ke samarthak nahi hain parantu agar we apne uddeshy ko lekar gambheer hain aur jimmedaar hain to unhe is dishaa me sochnaa hi hogaa anyatha jo kuchh wo aur unke saathi kar rahe hain wah sirf avyawastha ki hi or le jayega desh ko

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

राजनैतिक दल वह समाधान दे ही नहीं सकते जो आईएसी की इच्छा है। लिहाजा राजनैतिक विकल्प प्रस्तुत किये बिना कोई चारा नहीं।
शठता के विरुद्ध लड़ाई उसी के मैदान में लड़नी होगी।

अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

बहुत बडी और महान सोच है लेकिन प्रशान्त भूषण जी ने विवादित विषय पर कडवे शब्द बोलकर देश के करोडों लोगो का दिल दुखाया है यह आपको मानना ही पडेगा। अडवानी जी का पाकिस्तान जाकर सद्भावना के शब्द बोलने का हश्र पहले ही देखा जा चुका है
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं!!

ZEAL ने कहा…

He needs to be a bit more careful or else he will lose the battle.

Smart Indian ने कहा…

आदरणीय द्विवेदी जी,
जिस देश में सब कुछ ऐडहोकिज़्म पर ही टिका हो वहाँ ऐसे नये संगठन भी संवरते-संवरते ही संवरेंगे।

आपको, परिजनों तथा मित्रों सहित दीपावली पर मंगलकामनायें! ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे।
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साल की सबसे अंधेरी रात में*
दीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी

बन्द कर खाते बुरी बातों के हम
भूल कर के घाव उन घातों के हम
समझें सभी तकरार को बीती हुई

कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
प्रेम की गढ लें इमारत इक नई
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mahendraneh ने कहा…

dinesh ji, anna aandolan par aap ne behad sarthak va aavashyak tippadi ki hai.
anna ke saath shamil mitron ko bhi ise padhana, samajhana hoga kyonki sanp ke bil men hath daalane ke bad pichhe mud kar nahin dekha ja sakata. jangan ki ummidon ko jaga kar bhaga ya thahara bhi nahin ja sakata.
mahendra neh

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

गुरुवर जी, आपके ब्लॉग "तीसरा खम्बा" के ब्लॉग जगत पर चार वर्ष पूर्ण करके पांचवे वर्ष में प्रवेश करने के लिए शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ. इस नए वर्ष में किसी पीड़ित व्यक्ति या प्रश्नकर्त्ता को उसके प्रश्न का उत्तर देने के लिए आपको कभी याद नहीं करवाना पड़ें. अपने बनाये नियमों (15 दिनों में उत्तर दे दिया जाएगा अथवा याद करवाए) का सही से पालन करने के लिए आपको भगवान अधिक समय दें. भगवान आपकी समय के अभाव की शिकायत को दूर करें. जिससे किसी पीड़ित व्यक्ति या प्रश्नकर्त्ता की उम्मीदें ना टूटे. आपकी आज से चार साल पहले आज ही के दिन पहली बार लोगों ने आपकी पहली पोस्ट को देखा था. आप अपने ब्लॉग के उद्देश्यों में कामयाब हो और आपके ब्लॉग को पहले से भी उच्च रेंकिग(जो पहले 82 थी, अब 73 है) प्राप्त हो. इसके अलावा बिना किसी प्रकार का आपके मन में द्वेष भावना आये ही लोगों की पीड़ा को उत्तर देकर कम करते रहें. इन्ही कामनाओं के साथ .............

नोट: आप इस टिप्पणी को भी मेरा प्रचार, विज्ञापन बताकर या अन्य कोई कारण बताकर "स्पैम" कर सकते हैं, क्योंकि आपके ब्लॉग पर आपका अधिकार है.