@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: एक दम निजि पोस्ट : शादी में जाना है

शनिवार, 6 जून 2009

एक दम निजि पोस्ट : शादी में जाना है

साली के जेठूत की शादी है।  कोटा में मेरे घर से पचपन किलोमीटर दूर नेशनल हाई-वे पर है, कस्बा अन्ता।  आज वहाँ बारात रवाना होने के पहले होने वाली आखरी पारंपरिक रस्में होंगी।  कल बारात रवाना होनी है जो कोई पाँच सौ किलोमीटर का सड़क मार्ग तय कर मध्यप्रदेश के नगर सागर जाएगी। निमंत्रण तो बारात में जाने का भी है, पर अभी तो घर से निकलने के पहले ही पसीने छूट रहे हैं।  अखबार में कल पर्यावरण दिवस का टेम्परेचर चिपका है, अधिकतम 44 डिग्री और न्यूनतम 32.8 डिग्री सैल्सियस।  हवाएँ चल रही हैं, वरना यह शायद दो-दो डिग्री ऊपर होता।  साली साहिबा का बहुत आग्रह है, जाना होगा। बच सकने का कोई मार्ग नहीं है।  शोभा (पत्नी) पहले ही मेरी डायरी देख चुकी है कि उस में आज कोई मुकदमा दर्ज नहीं है।

कल एक संबंधी को फोन किया तो कहने लगे कि वे तो बाजार में व्यस्त रहेंगे। मैं उन की पत्नी और बेटे (4वर्ष) को साथ ले जाऊँ। इधर गर्मी के कारण अखबारों में रोज छपता है कि प्रदूषित पानी और भोजन से बचें। मुझे पता है कि अन्ता में इस का कोई ध्यान नहीं रखा जाएगा। वही कुएँ का पानी कपड़े से छाना हुआ और बर्फ डाल कर ठंडा किया हुआ ही मिलना है।  मैं उन को यही कहा कि कल सुबह बता दूंगा।  मुझे बच्चे का ध्यान आता है, वह कैसे गर्मी बर्दाश्त करेगा। कस्बे में चलती लू और उड़ते बरबूळों की धूल।  हलवाई का बना भोजन।  शोभा कहती है उन्हें बच्चे का बिलकुल ध्यान नहीं है।  बीमार हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे।  सुबह उन का फोन आता है। मैं तरकीब से मना कर देता हूँ कि अभी तो मेरा ही जाने का मन नहीं है।

लोग इतनी भीषण गर्मी में शादी क्यों कर रहे हैं? कोई अच्छा मौसम नहीं चुन सकते?  क्यों वे सैंकड़ा के लगभग लोगों की बारात ले कर 500-600 किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं? क्या लड़की वालों को यहाँ नहीं बुला सकते थे? इस सवाल का उत्तर तो वे दे चुके हैं कि वे लड़की वाले तैयार नहीं इतनी दूर आने को। 

अपना जाना तो कल ही तय हो चुका था।  जब हम साली जी के लिए एक अदद साड़ी खरीद लाए थे। अब जाना है तो जाना है।  घड़ी देखता हूँ, नौ बजने को है।  बस इस पोस्ट को प्रकाशित कर उठता हूँ। स्नान करना है, और कपड़े पहन निकल लेना है। आज सब काम की छुट्टी, न वकालत का दफ्तर और न ब्लागिरी। रात को जल्दी और बिना किसी लफड़े के लौट आए, और यहाँ कोई लफड़ा हाजिर न मिला तो टिपियाएँगे।  आज का दफ्तरी काम कल पर चढ़ जाएगा। बहुत से ब्लाग पढ़ने से छूट जाएंगे, और टिपियाने से  भी।  अब और आगे टिपियाना संभव नहीं है।  किचिन से आवाज नहीं लगाई जा रही है लेकिन मुझे पता है पारा चढ़ रहा है। कब थर्मामीटर बर्स्ट हो जाए भरोसा नहीं। अब चलता हूँ।  वापस लौट कर लिखता हूँ आज की दास्तान।।

10 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

द्विवेदी जी. साली का आग्रह भला कौन ताल सका है आज तक ..फिर इसमें तो बीवी का आदेश भी शामिल हो तो समझिये सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम आदेश है...बस निकल पदिये...जाइए नाच वांच कीजिये..गर्मी में शादी किसी कसरत से कम नहीं है...सेहत अच्छी रहेगी....हमारे लिए भी कुछ बाँध कर ले आइयीगा...हा..हा...हा....

L.Goswami ने कहा…

सच कहा आपने जाने लोग गर्मियों में क्यों शादियाँ करते हैं बड़ी कोफ्त होती है ..आज मुझे भी एक शादी में जाना है.

Nitin Bagla ने कहा…

शादी मौसम देख कर नही, मुहुर्त देख कर करनी पडती है।
जिसकी जब चेत जाये...तब ही भला...क्यों आगे खिसकवाते हैं
:)

संजय बेंगाणी ने कहा…

अजी जाईये...प्रसन्नचीत हो कर जाईये. बारात का अपना ही मजा है, मगर यह भिषण गर्मी....शादी के लिए फरवरी का माह मुझे उपयुक्त लगता है.

खाना पीना एक समस्या हो सकती है. मगर हम भारतीय तो खाद, साबून पता नहीं क्य क्या दूध के नाम पर हज़म कर जाते हैं :) शुभकामनाएं :)

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अजी आराम से जाईये कुछ नही होगा. आप तो बस इतना खयाल रखिये की थर्मामीटर का पारा ज्यादा उपर ना चढे वर्ना फ़िर किसका ब्लाग और किसकी टिपणी?:)

रामराम.

राज भाटिय़ा ने कहा…

साली की बात को सच मै कोई नही टाल सकता, लेकिन लडकी वाले तो ....
मेरी तरह से पानी को घ्रर से उबाल कर ले जाये, साथ मै एक पानी उबालने का बर्तन रख ले, ज्यादा खाना मत खाये, ओर बिना उबला तो बिलकुल भी मत खाये. अब ज्यादा सोचे मत, एक सुंदर सी साडी साली जी के लिये ओर वेसी ही साडी घरवाली के लिये ले जाये. ओर लोट के जल्द आये ओर बताये.
आप की शुभ यात्रा की कामनाये करते है

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

शादी व्याह का आनंद और कष्ट दोनों का मज़ा लीजिये .

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

गर्मियों की शादियों के मुझे तो तीन कारण नज़र आते हैं १. बच्चों की छुट्टियाँ, २. खेती के काम से कुछ समय की निजात और ३. खाली खेतों से आवाजाही ...बाक़ी कारण सुधि ब्लॉगर ज़रूर जानते होंगे.

Abhishek Ojha ने कहा…

अरे शादी में हिस्सा लेकर आइये. अपने तो किसी की शादी में गए हुए अरसा हो गया :)

bhuvnesh sharma ने कहा…

शादी में कैसी भी परेशानी हो जाना ही पड़ता है....पर साफ पानी और सही खाने की समस्‍या तो वाकई कष्‍ट देती है और यदि उससे बचने की कोशिश करो तो बड़ा आदमी होने के ताने मिलते हैं