@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: अधिवक्ता संघ दुर्ग ने किया विधि ब्लागिरी का सम्मान

शनिवार, 7 मार्च 2009

अधिवक्ता संघ दुर्ग ने किया विधि ब्लागिरी का सम्मान

अधिवक्ता संघ के सचिव श्री ओम प्रकाश शर्मा बैठक का संचालन करते हुए
अधिवक्ता संघ दुर्ग शायद देश का पहला जिला स्तरीय अधिवक्ता संघ है जो जुलाई 2008 से अपना मासिक अखबार संचालित करता है और उस का नेट संस्करण भी ब्लाग के माध्यम से प्रस्तुत करता है।  यह नेट संस्करण ही मेरा इस संघ के साथ संपर्क का माध्यम बना।  दुर्ग अधिवक्ता संघ के कार्यालय का कमरा न्यायालय परिसर में ही प्रथम तल पर स्थित कोई 12 गुणा 20 फुट के कमरे में स्थित था।  उसे एक बैठक की तरह सजाया हुआ था।  एक तरफ चार पांच कुर्सियाँ लगी थीं उन के सामने मेज थी और उस के सामने मेज की ओर मुँह किए शेष कुर्सियां लगी थीं कुल बीस-पच्चीस व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था। मुझे भी चार कुर्सियों में से एक पर बैठने को कहा गया वहाँ पहले से अधिवक्ता संघ की अध्यक्षा सुश्री नीता जैन, सचिव ओम प्रकाश शर्मा मौजूद थे।  हमारे वहाँ पहुँचने के कुछ देर बाद ही औपचारिक बैठक आरंभ हुई। सचिव शर्मा जी ने कार्यक्रम का संचालन किया अतिथि (मैं) और अध्यक्षा को माल्यार्पण और बुके भेंट के बाद मुझ से इंटरनेट की वकीलों के लिए उपयोगिता पर प्रकाश डालने को कहा गया। 
 अभिभाषक वाणी के संपादक शकील अहमद सिद्दीकी बोलते हुए
मैं ने उन्हें बताया कि हमारी पीढ़ी तो शायद इंटरनेट का उपयोग बहुत ही कम कर पाए लेकिन आने वाली पीढी़ का काम इस के बिना नहीं चलेगा।  सर्वौच्च न्यायालय के 1950 से ले कर आज तक के सभी महत्वपूर्ण निर्णय सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर मुफ्त उपलब्ध हैं और 2000 के बाद तो लगभग सभी उच्चन्यायालयों के निर्णय भी उपलब्ध होने लगे हैं।  आज जब सैंकड़ों की संख्या में विधि जर्नल प्रकाशित होने लगे हैं।  महत्वपूर्ण निर्णयों तक पहुँचना कठिन हो चला है।  आगे आने वाले वर्षों में और भी कठिन होता जाएगा।  उन तक पहुँच केवल इंटरनेट के माध्यम से ही संभव हो सकेगी।  तब बिना इंटरनेट की सुविधा के वकील को योग्य वकील ही नहीं समझा जाएगा।  जैसे मुवक्किल आज वकील के दफ्तर की किताबों की संख्या को देख कर वकील की योग्यता का अनुमान करता है। तब प्रत्येक वकील के दफ्तर में एक कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन आवश्यक होगा।
स्वागत और परिचय
मुफ्त साधनों के साथ बहुत से डा़टाबेस भी उपलब्ध हैं। जिनका हम उपयोग कर सकते हैं जहाँ सभी निर्णयों के साथ साथ वकालत की अन्य सामग्री भी तुरंत उपलब्ध हो सकती है।  अधिकांश कानून और नए संशोधनों की जानकारी अभी भी इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।  लोग इस का उपयोग प्रारंभ करें तो जल्द ही उस के बहुत से नतीजे भी सामने आने लगेंगे।  मैं ने उन्हें तीसरा खंबा, जूनियर कौंसिल, अभिभाषक वाणी और अदालत ब्लॉगों के बारे में भी बताया।  यह सौभाग्य ही था कि तीनों के मॉडरेटर या प्रतिनिधि वहाँ उस बैठक में उपस्थित थे।  मैं ने अदालतों की कमी और साधनों की कमी के बारे में उन्हें बताया और यह भी कहा कि हम वकील यदि छोटी छोटी समस्याओं पर काम बंदी के स्थान पर अदालतों की संख्या वृद्धि और साधनवृद्धि के मामले में आंदोलित हों तो सरकारों को चेतन होना पड़ेगा।  वकीलों के आंदोलित हुए बिना इस समस्या की ओर सरकारें ध्यान नहीं देंगी।   इस छोटी सी बैठक को अधिवक्ता संघ की अध्यक्षा सुश्री नीता जैन ने भी संबोधित किया।  सभा का संचालन न केवल रोचक था अपितु काव्यत्मक भी था।  अनपेक्षित रूप से मुझे संघ की ओर से श्रीफल और एक शॉल भी एक सम्मान पत्र के साथ भेंट किया गया।
स्वागत और परिचय
इस संक्षिप्त सभा के उपरांत कार्यकारिणी ने हमारे साथ पास ही एक रेस्तराँ में दोपहर का भोजन किया।  वहाँ से  अभिभाषक वाणी के संपादक शकील अहमद सिद्दीकी, संजीव तिवारी और कुछ अन्य अधिवक्ता मुझे स्टेशन तक छोड़ने भी आए पाबला जी और वैभव तो साथ थे ही।  अधिवक्ता संघ दुर्ग ने जो सम्मान मुझे दिया वह केवल मेरा सम्मान नहीं था।  वह मेरी सवा वर्ष की कानून और न्याय व्यवस्था से संबंधित ब्लागिरी और हि्दी ब्लागिरी का भी सम्मान था।  यह इस बात का भी द्योतक था कि ब्लागिरी केवल व्यक्तिगत विचारों को प्रकट करने का साधन नहीं है। अपितु यदि इस का उपयोग किया जाए तो यह समाज के विभिन्न भागों को जोड़ने और उपयोगी सूचनाओं को जनसाधारण तक पहुँचाने का एक प्रभावकारी माध्यम भी हो सकती है।

हिन्दी ब्लागिरी का सम्मान
 
छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के आने तक प्लेटफार्म पर भी बातों का सिलसिला जारी रहा।  एक एक कॉफी वहाँ पी ली गई।  जो मेरी छत्तीसगढ़ की इस संक्षिप्त यात्रा की अंतिम कॉफी थी।  मैं पाबला जी से कह रहा था कि समय की कमी से बहुत कुछ छूट गया है।  मेरी पंकज अवधिया से मुलाकात नहीं हो सकी वे बाहर थे और उसी दिन सुबह लौट कर आए थे, जिस दिन मैं वापस लौट रहा था।  एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति जिस से मुलाकात नहीं हो सकी वे अदालत ब्लाग के मॉडरेटर और पाबला जी के साथी लोकेश थे।  अदालत वह ब्लाग है जिस ने तीसरा खंबा को बहुत सहयोग किया।  अदालत यदि महत्वपूर्ण अदालती खबरें हिन्दी ब्लाग जगत तक निरंतर नहीं पहुंचाता तो शायद यह काम सीमित दायरे में रह कर तीसरा खंबा को करना पड़ता और जो काम तीसरा खंबा के माध्यम से अब तक हो सका है वह उतना नहीं हो सका जितना होना चाहिए था।
दुर्ग के एक वरिष्ठ वकील मिलते हुए
ट्रेन आई और मुझे ले कर चल दी।  सब लोग जो मुझे छोड़ने आए थे हाथ हिला कर मुझे विदा कर रहे थे।  मुझे लग रहा था कि मैं अपने पुत्र के अतिरिक्त बहुत कुछ यहाँ छोड़े जा रहा हूँ।  मैं ने बहुत कुछ यहाँ पाया और जो छोडे़ जा रहा हूँ उसे पकड़ने के लिए जल्द ही मुझे वापस यहाँ आना पडे़।
संजीव तिवारी (जूनियर कौंसिल) मैं और बी. एस. पाबला जी

12 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अधिवक्ता संघ द्वारा सम्मानित होने पर बधाई. आप इसके हकदार हैं. कार्यक्रम विवरण पढ़कर अच्छा लगा.

प्रेमलता पांडे ने कहा…

बधाई!
और व्यापकत्त्व देने की गुज़ारिश।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

जैसे मुवक्किल आज वकील के दफ्तर की किताबों की संख्या को देख कर वकील की योग्यता का अनुमान करता है। तब प्रत्येक वकील के दफ्तर में एक कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन आवश्यक होगा।
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पता नहीं, अभी वकील जर्नल्स और जजमेण्ट की सॉफ्ट कापी सब्स्क्राइब करते हैं या नहीं। कितने प्रतिशत के पास ई-मेल आईडी होगा?!

रंजू भाटिया ने कहा…

आपको बधाई ..अच्छा लगा इसको पढ़ कर

Arvind Mishra ने कहा…

बहुत बधाई ! अच्छा विवरण दिया है आपने ! और विधाकरण भी ठीक है !

mamta ने कहा…

बधाई और सम्पूर्ण विवरण देने के लिए शुक्रिया ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत बहुत बधाई हो अधिवक्ता संघ दुवारा सम्मानित होने की, आप के यह चित्र देख कर दिल बहुत ही खुश हुया क्योकि पिछे दीवार पर भगत सिंह, चंदर शेखर आजाद, ओर सुभाष चन्द बोस जी के चित्र लगे है, जिन के असल मे हम कर्ज दार है लेकिन आज इन की जगह .....


आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी भीगी भीगी बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

Anita kumar ने कहा…

रोचक वृतांत, आप के और यात्रा संस्मरण सुनने के लिए तैयार बैठे हैं

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत बधाई जानकारी देने के लिये. ये भी हमारे लिये तो जानने लायक बाते हैं.

रामराम.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

दीनेश भाई जी , आपका सन्मान हुआ बहुत सही हुआ - लगन और मेहनत की सही पहचान हुई आप्को तथा सभी हिन्दी ब्लोग जगत के साथियोँ को होली पर्व पर रँगभरी शुभकामनाएँ

bhuvnesh sharma ने कहा…

बधाई हो जी....इंटरनेट उपयोग के मामले में अभी काफी सारे वकीलों को जानकारी नहीं है...धीरे-धीरे नयी पीढ़ी के वकील सीख रहे हैं इसे.

Smart Indian ने कहा…

इस सम्मान के लिए आपको बहुत बधाई!