@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: बहत्तर घंटे पूरे होने का इंतजार

गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

बहत्तर घंटे पूरे होने का इंतजार

जुकाम का आज तीसरा दिन है।  परसों शुरू हुआ था तो समझा गया था कि होमियो बक्से की दवा से स्टे मिल जाएगा। पर नहीं मिला। रात बारह बजे बाद तक नाक की जलन के मारे नींद नहीं आ सकी थी और सुबह चार बजे ही खुल गई। तब से नाक  एक तरफ से उस बरसाती छत की तरह टपकती रही जिस के टपके से डर कर शेर गधा हो गया था और कुम्हार ने उसे बांध लिया था। दुबारा नींद आई ही नहीं। मजबूरी यह कि अदालत जाना जरूरी है, सो गए। वरना कोई न कोई मुकदमा लहूलुहान हो सकता था। रात तक टपका जारी रहा। घर लौटे तो पत्नी जी की सलाह से कुछ नयी दवाओं को आजमाया गया। पर नाक ने अपना स्वभाव दिन भर की तरह जारी रखा।
शाम को ब्लाग पढ़ने बैठे तो अलग सा पर एक बिमारी, जिसे कोई बिमारी ही नहीं मानता पढ़ कर तसल्ली मिली कि एक आदमी, नहीं ब्लागर, तो है जिस  को हमारे जुकाम का पता लगा। पढ़ कर बहुत तसल्ली मिली कि दवा करो तो तीन दिन में और न करो तो बहत्तर घंटों में आराम आ जाता है। हम दवा कर चुके थे। बड़ा अफसोस हुआ कि नहीं करते तो दिनों के बजाए घंटों में ठीक हो जाते। फिर कुछ गणित लगाई तो पता लगा। बात एकै ही है।

रात को वही बारह बजे बाद जैसे तैसे नींद आई। सुबह उठे तो सवा छह बजे थे। यानी बहत्तर में छह और कम हुए। नाक दोनों सूखी थी। लेकिन लग रहा था कि सांस के साथ अंदर तक कुछ असर हुआ है। सफाई वफाई करने पर पता लगा कि बहना बंद है। हम खुश हो गए। पर कुछ देर बाद ही दूसरी वाली साइड चालू हो गई। यानी नाक की साइडें शिफ्टों में काम कर रही थी।

आज भी काम कम नहीं है। एक मुकदमे में बाहर भी जाना था। मुवक्किल को कल ही बता दिया था कि नाक ने साथ दिया तो जा पाऊँगा वरना नहीं। अब लगता है कि नहीं जा सकता। उस का फोन आया तो ठीक, वरना मुवक्किल इतना होशियार है कि अपना इंतजाम खुद कर लेगा। हाँ कोटा की अदालत तो जाना ही पड़ेगा। तैयारी सब कर ली है। बहत्तर घंटे शाम को छह-सात बजे पूरे हो रहे हैं। उस के बाद भी बरसात जारी रही तो फिर अपनी नाक को नुक्कड़ वाले डाक्टर धनराज आहूजा हवाले ही करना पड़ेगा।

अब अदालत के लिए तैयार होते हैं। शाम को फिर मिलेंगे।

पुनश्च- डाक्टर प्रभात टंडन ने फरमाया है...ख़ुश रहिए और सर्दी से बचिए
कहा है जुकाम का कारण तनाव है। अब तलाशता हूँ कि कोई तनाव था क्या? और था तो क्यों, किस कारण से?

17 टिप्‍पणियां:

PD ने कहा…

एक नाक बहत्तर घंटे.. ये तो बहुत नाइंसाफी है.. अब दूसरा नाक भी बहत्तर घंटा..
जब एक वकील के साथ इत्ता बड़ा नाइंसाफी हो सकता है तो हम क्या कहें.. :)
अपना और अपने नाक का खयाल रखें..

Arun Arora ने कहा…

गरम पानी मे बूढा बंदर ( old monk)नामक रम नाम की दवाई के दो से चार ढक्कन या फ़िर श्रद्धानुसार डाल कर पिये और रजाई ओढकर सो जाये . पहले दिन ७५% दूसरे दिन १००% ठीक होने की २००% गारंटी जी ्डाक्टर साहब वाली फ़ीस ठीक होते ही मनीआर्डर द्वारा भिजवा दे ताकी हम भी अपनी सर्दी का इलाज कर सके :)

Himanshu Pandey ने कहा…

वाह रे जुकाम-कथा.
जुकाम तो मुझे भी हुआ है . क्या सच में जुकाम का कारण तनाव है ?

Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ghughutibasuti ने कहा…

सहानुभूति ! इलाज तो हम भी बता दें परन्तु यदि सब बताएँगे तो 'नाक एक इलाज अनेक' हो जाएँगे ।
घुघूती बासूती

Udan Tashtari ने कहा…

डॉ पंगेबाज की सलाह तो ठीक रही..८०% फायदा तो पढ़ते पढ़ते ही आ गया...आप भी आज़मायें. :)

Anil Pusadkar ने कहा…

वकील साब बहत्तर घण्टो मे ही त्रस्त हो गये। हम तो इस बीमारी के सर्वश्रेष्ठ माडल है। अपने इलाके मे छाये हुए है।बीसो साल से झेल रहे है,नाक कभी भी म्युनिसीपल के नल की तरह टपकना शुरू कर देती है,और कभी-भी भीड भरी सड़क पर लगने वाले जाम की तरह चोक हो जाती है।एलोपैथी से लेकर होम्योपैथी और आयुर्वेदिक से लेकर नीम-हकीम तक आजमा लिये मगर कम नही बना। आखिर काम आया पुराना दोस्त डाक्टर राजेश त्रिवेदी उर्फ़ निक्कू।मौसम बदलते ही याद दिला देता है और एह्तियाती दवा शुरू हो जाती है,कम से कम अब सर्दी तक ही भुगतता हूं,अस्थमा के झंझट से तो मुक्ति मिली। वैसे इस सबसे छोटी बिमारी से आदमी सबसे ज्यादा त्रस्त होत है,जैसे पटवारी से।कोई बढिया सा एक्स्पेरिमेंट सफ़ल हो तो हमे भी बताईयेगा।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

वैसे फ़ार्मुला तो ७२ घन्टे मे अपने आप ठीक होने वाला सही है ! सबके अपने अपने फ़ार्मुले हैं ! पन्गेबाज जी वाला नही जमे तो हमारे वाला अपना लिजिये , आपको मजा आ जायेगा मुफ़्त मे !

जुकाम कोई बिमारी नही है बल्कि एलर्जी है और एलर्जी धावा बोलती है कमजोर ईम्युनिटि सिस्टम पर ! तो अपनी शारिरिक बल ताकत को बढाईये !और उसके लिये इस सर्दी मे ग्वारपाठा और मेथी के लाड्डुओं का सेवन किजिये फ़िर एक साल की गारन्टी जुकाम लगने की ! और लग जाये तो लड्डूओं का खर्चा हमारी तरफ़ से ! :)

राम राम !

रंजू भाटिया ने कहा…

यह जुकाम भी आफत ही है :) जल्दी से ठीक हो जाए

दीपक कुमार भानरे ने कहा…

अब ठण्ड का मौसम आया है तो सर्दी खांसी समस्या तो होगी ही . फिर भी थोडी सावधानी और सही दवा के सेवन से इससे निजात पाया जा सकता है . अन्य ब्लॉगर महोदय के नुस्खे और कुछ बुजुर्गों के घरेलु नुस्खों के प्रयोग इससे बचा जा सकता है . कामना है की आपको सर्दी से जल्दी निजात मिले .

विष्णु बैरागी ने कहा…

नुस्‍खे तो हमारे पास भी ऐसे और इतने हैं आपको कन्‍फ्यूजिया दें । ऐसे कि आप जुकाम को भूल कर नुस्‍खों में उलझ जाएं । लेकिन क्‍या फायदा ? अब तो 72 घण्‍टे भी हो चुके । अगली बार, जुकाम होने से पहले बताइएगा ।

P.N. Subramanian ने कहा…

ताऊ जी की सलाह प्रयुक्त योग्य है. वय के साथ प्रतिरोध शक्ति क्षीण तो होती ही है. पूछ लें की इन्दोर में बनी बनाई लड्डू मिलती है क्या. विशाल हृदय है उनका. भिजवा देंगे वी.पी.पी. से!

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

जुकाम तनाव से होता है या जुकाम से तनाव होता है? कहना कठिन है!

डॉ .अनुराग ने कहा…

भाप लीजिये ,गरम निवाया पानी ओर ठण्ड से बचिए ....जुकाम ऐसी बीमारी है जिसका इलाज़ केवल symtomatic है ..उन लोगो को जल्दी पकड़ता है जिनकी प्रतीरोधक क्षमता कम होती है ,या शरीर की प्रतिरोधक क्षमता किसी भी कारणवश जब कम हो जाती है.....बच्चो में इसके लिए फ्लू का वैक्सीन आ गया है पर चूँकि इसका वायरस अपनी स्ट्रेन जल्दी जल्दी बदलता है इसलिए इसे हर साल लगना पड़ता है ....अभी शुरूआती दौर में है ..
बाकी जिसको पीड़ा वही जाने ......

Anita kumar ने कहा…

पंगेबाज जी का नुस्का एकदम सही है, आजमाया हुआ। तनाव के कारण पता लग गये हों तो हम सुनने को तैयार बैठे हैं , फ़िर उनसे कैसे निजाद पाया जाए वो नुस्के बतायेगे, जुकाम के नुस्के तो काफ़ी हो गये। है न?

महेंद्र मिश्र.... ने कहा…

पंडित जी मैंने आलेख को ध्यान से पढ़ा . आपसे निवेदन है कि आप हमेशा बांये करवट सोये तो आपको कभी सर्दी नही हो सकती है . इसको मै ख़ुद अजमाकर देख चुका हूँ . धन्यवाद. आभार

राज भाटिय़ा ने कहा…

मुझे भी जुकाम लगता है शुरु हो रहा है, लेकिन पंगेवाज की टिपण्णी पढ कर ५०% ठीक हो गया, बाकी अभी इलाज शुरु करता हूं, मनीआर्डर दिनेश जी कर रहे है.धन्यवाद

आप की सेहत के लिये शुभकामनये!! जल्द से जल्द ठीक हो जाओ.