@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: ।।काँख मँ छोरो गाँव मँ हेरो।।

गुरुवार, 31 जनवरी 2008

।।काँख मँ छोरो गाँव मँ हेरो।।


आप किसी काम को करते हैं और उस के औजारों की जानकारी न हो तो यही होता है।

कभी ऐसा भी होता है कि आप की तैयारी पूरी है, लेकिन आप घर भर में कुछ ढूंढ रहे हैं, परेशान हो रहे हैं। पत्नी पूछती है -क्या ढूंढ रहे हो? आप कहते हैं- कुछ नहीं चश्मा नहीं मिल रहा है। बच्चा कहता है पापा आपने लगा तो रक्खा है।

मैं कृतिदेव पर हिन्दी टाइप करता था। नैट पर आया तो यूनिकोड के लिए आईएमई में रेमिंग्टन की बोर्ड का प्रयोग किया। पर उसमें यह खोट था कि फायरफोक्स में संयुक्ताक्षर दूर दूर हो जाते थे या एक दूसरे पर सवारी करने लगते थे। बहुत दिन माजरा समझ नहीं आया। फिर इन्स्क्रिप्ट हिन्दी की बोर्ड पर अभ्यास किया। तब से बड़ा आराम है। अपनी हिन्दी न तो बिखरती है और न ही अक्षर एक दूसरे पर सवारी करते हैं।

कल हमने कलेक्टर के रीडर के कम्प्यूटर पर उस की सुविधा के लिए रीजनल एण्ड लेंग्वेज ऑप्शन में जा कर सप्लीमेंटल सपोर्ट में कोम्पलेक्स स्क्रिप्ट की फोन्ट फाइलें इन्स्टॉल कराईं। डिटेल्स में गए तो वहां हिन्दी के लिए वहां केवल हिन्दी ट्रेडीशनल की बोर्ड उपलब्ध था, इन्स्क्रिप्ट नहीं। उसे ही चालू किया। रीडर ने उस पर टाइप कर के देखा तो यूरेका यूरेका की तर्ज पर चिल्लाया -यह तो वही की बोर्ड है जो मैं ने पाँच बरस पहले सीखा था।

लिहाजा हम जिस हिन्दी ट्रेडीशनल को कई महीनों से देख कर छोड़ रहे थे। वह यूनिकोड़ का हिन्दी की बोर्ड ही था। हमने अपने ऑफिस आ कर आईएमई को छोड़ा और हिन्दी ट्रेडीशनल को अपनाया। अब यहां इस में प्रश्नवाचक चिन्ह (?) गायब है, उस के स्थान पर (य़) आ रहा है। आगे के लिये काम मिल गया (?) को ढूंढने का।

इस आलेख का शीर्षक एक हाड़ौती कहावत है जो दूसरी हिन्दी बोलियों में भी जरूर होगी। जिस का अर्थ है कि एक महिला अपने बच्चे को ढूंढ रही है -अरे किसी ने देखा क्या मेरे लाल को ? बहुत देर बाद कोई उसे बताता है कि उस की बगल में जो बच्चा लिए वह घूम रही है, उसे ही ढूंढ रही है, या दूसरे को ? वह महिला उस की शुक्रगुजार है कि उस ने उसे बताया कि जिसे वह ढूंढ रही है वह उसी की काँख में था। इसे ही कहते हैं- ।।काँख मँ छोरो गाँव मँ हेरो।।

5 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

जटिल समस्याओं के समाधान बहुधा बहुत सरल होते हैं। कभी कभी हम जिस तल पर समस्यायें होती हैं, उन्ही पर समाधान ढ़ूंढ़ते हैं - जब कि समाधान अगर समस्या के तल पर होता तो समस्या न होती!
यह मैं नहीं, आइन्स्टीन का कहना है।

काकेश ने कहा…

चलिये अब आप और तेज लिख सकेगें.नयी पोस्ट्स की प्रतीक्षा है.

रवि रतलामी ने कहा…

कंट्रोल+आल्ट+शिफ़्ट तीनों एक साथ दबाकर ? कुंजी दबाने से ? छपेगा य़ नहीं.

कुछ दूसरे अंग्रेज़ी के अक्षरों के लिए कंट्रोल+आल्ट कुंजी एक साथ दबाकर काम में लें.

आप ऑल्ट+शिफ़्ट का प्रयोग कर हिन्दी अंग्रेजी में टॉगल कर सकते हैं.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

"बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा"।
यही सुना है अपन ने इधर तो।

अजित वडनेरकर ने कहा…

आपकी जैसी समस्या मेरी भी थी । अपने आप दूर भी हो गई । दरअसल मैं रेमिंग्टन, फोनेटिक और इंस्क्रिप्ट तीनों की बोर्ड पर काम कर लेता हूं। नवभारत टाइम्स में रहते हुए रेमिंग्टन सीखा। स्टार न्यूज़ में रहते हुए इंस्क्रिप्ट और दैनिक भास्कर ने फोनेटिक सिखा दिया। फोनेटिक और इंस्क्रिप्ट में कुछ कुंजियों का ही अंतर है।
इन दिनों मैं भी प्रश्नवाचक चिह्न की समस्या से जूझ रहा हूं। बार बार अंग्रेजी की बोर्ड पर जाना पड़ता है। रवि जी के सुझाए तरीके से भी काम नहीं बन रहा है।